अश्विन नवरात्रि 22 सितम्बर से : हाथी पर आगमन, पालकी पर विदाई
Astha। आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, सोमवार 22 सितम्बर 2025 से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। घट स्थापना के लिए प्रातः 06:30 से 08:00 बजे अमृत वेला, 09:30 से 11:30 शुभ वेला, 12:06 से 12:55 अभिजीत मुहूर्त तथा दोपहर 01:50 से शाम 08:00 बजे तक विभिन्न चौघड़िया शुभ मानी गई हैं।
शास्त्रों के अनुसार इस बार नवरात्रि सोमवार से प्रारंभ हो रही है, इसलिए मां दुर्गा गज (हाथी) पर आरूढ़ होकर आ रही हैं। हाथी पर आगमन को अत्यंत मंगलकारी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि हाथी पर आगमन होने से वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है, अन्न भंडार भरपूर रहते हैं और पूरे वर्ष सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विजयादशमी का पर्व 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन देवी की विदाई पालकी पर होगी। पालकी पर विदाई को समाज में सहयोग, विकास और एकता का प्रतीक माना जाता है। इसका संदेश है कि सामूहिक सहयोग से ही प्रगति संभव है।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा को अलग-अलग भोग अर्पित करने की परंपरा है।
- पहले दिन शैलपुत्री को घी
- दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी को मिश्री
- तीसरे दिन चंद्रघंटा को दूध
- चौथे दिन कुष्मांडा को मालपुआ
- पांचवें दिन स्कंदमाता को फल
- छठे दिन कात्यायनी को शहद
- सातवें दिन कालरात्रि को गुड़
- आठवें दिन महागौरी को नारियल
- नवें दिन सिद्धिदात्री को हलवा-पूरी, खीर और चना का भोग अर्पित किया जाएगा।
श्रद्धालु इस बार मां के हाथी पर आगमन और पालकी पर विदाई को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और समाज में एकजुटता का संदेश मानते हुए उल्लास और भक्ति भाव से तैयारियों में जुट गए हैं।
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